दिल्ली. देश में ज्यादातर नौकरीपेशा लोगों के लिए एम्प्लॉइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) भविष्य के लिए बचत (Saving), मुनाफा (Return) और टैक्स बचत (Tax Saving) का शानदार विकल्प रहा है. इसी के मद्देनजर बड़ी संख्या में कर्मचारी ईपीएफ की तय 12 फीसदी योगदान राशि को नियमों के अनुसार अपनी इच्छा से बढ़ाकर जमा कराते रहे हैं. अपनी इच्छा से ईपीएफ में बढ़ाई इस रकम को ही वॉलेंयटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) कहा जाता है. अभी तक ईपीएफ में योगदान राशि (Contribution) की कोई सीमा नहीं है. इसमें जमा रकम पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री (Tax Free Return) रहता है. अब इन नियमों में बदलाव होने जा रहा है. आसान शब्दों में समझें तो अब योगदान राशि सीमा से अधिक होगी तो सब्सक्राइबर को मुनाफे पर इनकम टैक्स (Income Tax) का भुगतान करना होगा.
देश में ईपीएफ और वीपीएफ के नियमों में ये बदलाव 1 अप्रैल 2021 होने जा रहा है. मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक, ईपीएफ, वीपीएफ और इग्जम्प्टेड प्रोविडेंट फंड ट्रस्ट्स (EPFT) के ब्याज पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है, भले ही पीएफ कंट्रीब्यूशन कितना ही ज्यादा क्यों न हो. दरअसल, आम बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने ईपीएफ में 2.50 लाख रुपये से अधिक सालाना जमा करने को टैक्सेबल बना दिया है. दूसरे शब्दों में कहें तो एक साल में 2.5 लाख रुपये से ऊपर के प्रॉविडेंट फंड कन्ट्रीब्यूशन से मिलने वाले ब्याज पर अब नॉर्मल रेट्स से इनकम टैक्स लिया जाएगा.
कंपनी बढ़ाती है योगदान राशि तो ब्याज पर नहीं लगेगा टैक्स
नए नियमों के मुताबिक, यह केवल कर्मचारियों की ओर से जमा की जाने वाली योगदान राशि पर लागू होगा यानी अगर कंपनी की ओर से योगदान राशि बढ़ाई जाती है तो मिलने वाला ब्याज अब भी टैक्स फ्री रहेगा. बजट 2021 के इस नए प्रावधान का सीधा असर हाई-इनकम सैलरी वाले लोगों पर पड़ेगा, जो टैक्स-फ्री इंटरेस्ट के लिए वीपीएफ का इस्तेमाल करते हैं. ईपीएफ कानून के तहत कर्मचारी और कंपनी का योदगान बेसिक सैलरी का 12 फीसदी तय किया गया है. हालांकि, कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से इस अमाउंट से ज्यादा का योदगान वीपीएफ में कर सकते हैं. इसमें योगदान की कोई सीमा नहीं है. कर्मचारी इसका इस्तेमाल टैक्स छूट के लिए भी करते हैं.
एक फीसदी कर्मचारियों पर पड़ेगा नए नियमों का सीधा असर
केंद्र सरकार का दावा है कि इससे एक प्रतिशत से भी कम कर्मचारी प्रभावित होंगे. सरकार का कहना है कि ईपीएफ में सालाना 2.5 लाख से ज्यादा का योगदान करने वाले कर्मचारियों की संख्या 1 फीसदी से भी कम है. बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंशधारकों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है. सरकार ने राजस्व घाटे (Revenue Deficit) की भरपाई के लिए यह कदम उठाया है. सरकार के इस कदम से सालाना 20.83 लाख रुपये से ज्यादा कमाई वाले कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. नए नियम से वीपीएफ में पैसे जमा करने वालों का संख्या में कमी आने की आशंका भी है.